ताजमहल भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा जिले में यमुना नदी के किनारे स्थित है और इसका क्षेत्रफल 60 बीघा है। यह ऐतिहासिक इमारत सन् 1632 से 1653 तक बनाई गई थी। इसे वास्तुशास्त्री उस्ताद अहमद लाहौरी के द्वारा निर्मित माना जाता है।
ताजमहल मुग़ल वास्तुकला का एक अद्वितीय और उत्कृष्ट नमूना है जिसे वर्ष 1983 में यूनेस्को संगठन ने विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त की है। यह विश्व भर में अपनी अनूठी सुंदरता और आर्किटेक्चर के लिए प्रसिद्ध है।
मान्यता है कि शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज़ महल की मौत के बाद उसकी याद में ताजमहल का निर्माण कराया था, और इसी कारण इसे “प्रेम का प्रतीक” के रूप में जाना जाता है। ताजमहल को देखने के लिए विश्व भर के पर्यटक हर साल भारत आते हैं।
एक शोध के अनुसार, हर साल लगभग 30 लाख से भी अधिक लोग ताजमहल की यात्रा करने आते हैं।
ताजमहल दुनिया के सात अजूबों में से एक है और यह अपनी सुंदरता और आर्किटेक्चर के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। इसे सफेद संगमरमर के पत्थरों से बनाया गया है और इसलिए यह भारतीय इतिहास में एक अद्वितीय स्थान रखता है। चलिए, हम इस खूबसूरत इमारत से जुड़ी 7 ऐसी बातें जानते हैं, जो आज भी आम जनता के लिए छिपी हुई हैं।
1. टपकता है पानी
ताजमहल के बारे में आपने यह बात तो सुनी ही होगी कि इसे बेदाग प्रेम का प्रतीक कहा जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसकी छत से बारिश के समय पानी की बूंदें मुमताज़ महल की कब्र पर टपकती हैं? यह रहस्यमय घटना बहुत से लोगों को हैरान करती है। इस विषय में वैज्ञानिकों के बीच कई तर्क रहे हैं। कुछ लोग कहते हैं कि यह ट्रिक स्टाइलिश कारीगरों द्वारा चित्रित की गई झाग द्वारा संभव है, जबकि दूसरे कहते हैं कि यह अवशोषण की क्रिया के कारण होता है। इस बात का सटीक जवाब अभी तक नहीं मिला है।
2. कुतुब मीनार से भी ऊंचा
हालांकि ताजमहल और कुतुब मीनार दोनों की लंबाई 73 मीटर (240 फीट) बताई जाती है, परंतु ताजमहल वास्तविकता में कुतुब मीनार से 5 फीट अधिक ऊंचा है। यह अद्भुत महल यमुना नदी के किनारे स्थित है और इसे मुग़ल सम्राट शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज़़ महल की याद में बनवाया था। इसका निर्माण करने में लगभग 22 साल लगे थे और यह 1632 ईस्वी में पूरा हुआ।
3. रंग बदलता ताज
इस रंग बदलते ताजमहल का रहस्य वास्तविकता में विज्ञानिक प्रक्रियाओं से जुड़ा हुआ है। इसका कारण है एक विशेष प्रकार का रंग चयन करने वाला पत्थर जो मार्बल के अंदर से उत्पन्न होता है। इस पत्थर को ‘संकरणीय पत्थर’ के नाम से जाना जाता है। यह पत्थर प्राकृतिक रूप से उपस्थित मांगनीज़ धातु का संग्रहण करता है जो प्रकाश के साथ प्रतिक्रिया करके रंग बदलता है।
इस रंग बदलने की प्रक्रिया को ‘फोटोक्रोमिक रीएक्शन’ कहा जाता है। यह रेडिएशन और प्रकाश के प्रभाव के कारण होता है। सूर्य की किरणों का निकटतम प्रभाव इस पत्थर पर पड़ता है और उसके पाठ और रंग में परिवर्तन लाता है।
ताजमहल की रंग बदलती प्रक्रिया का वर्णन पहली बार 19वीं सदी में किया गया था, जब ब्रिटिश वैज्ञानिक सर जॉन फेनेल ने इसे अध्ययन किया। उन्होंने यह खुदाई के दौरान खोजा और यह देखा कि ताजमहल का रंग सुबह के समय सबसे प्रभावशाली होता है जब सूर्य की किरणें सबसे तेज़ होती हैं। इसके बाद रंग धीरे-धीरे बदलता है और रात के समय सफेद रंग में दिखाई देता है।
ताजमहल के रंग का बदलना एक अद्वितीय और सुंदर दृश्य प्रदान करता है। इसके आदम्य निर्माण और सौंदर्य के साथ-साथ, यह रंग बदलने की प्रक्रिया भी इसे विशेष बनाती है। आप जब ताजमहल को देखने जाएंगे, तो इस रंग के चमत्कारिक प्रदर्शन को देखने के लिए तैयार रहें।
4. नहीं काटे थे कारीगरों के हाथ
आपने शायद सुना होगा कि ताजमहल के निर्माण के दौरान मुग़ल शासक शाहजहां ने अपने कारीगरों के हाथ काट दिए थे। यह मान्यता है कि शाहजहां ने इसे किया था ताकि इन कारीगरों की कभी और कोई ऐसी सुंदर कारीगरी न बना सके। यह किस्सा रोमांचकारी लग सकता है, लेकिन इसका कोई ऐसा प्रमाण नहीं है जिससे कि इस मिथक को सत्य साबित किया जा सके। विद्वानों और इतिहासकारों के मुताबिक, यह केवल एक कथा है जिसे समर्थन या सत्य के रूप में स्वीकारा नहीं जाना चाहिए
5. लकड़ी का है आधार
ताजमहल की मुख्य भव्यता और सजगता को बनाए रखने के लिए लकड़ी एक महत्वपूर्ण घटक है। इसकी मज़बूती को बनाए रखने के लिए, ताजमहल की इमारत की बुनियाद पर लकड़ी का इस्तेमाल किया गया है। इसके अलावा, इसमें उपयोग हुई पत्थर को भी लकड़ी से ठोस करने के लिए तरीके से सोंका जाता है। यह एक अद्वितीय प्रक्रिया है जिससे ताजमहल इतनी टिकाऊ बनता है।
एक और रोचक तथ्य है कि यदि यमुना नदी ताजमहल के बगीचे के पास से न बहती, तो शायद ताजमहल इमारत आज तक अपनी मुख्यता से उठकर खड़ी न होती। यह बात सच हो सकती है क्योंकि ताजमहल की नीव बहुत ही कमजोर होती है और यमुना नदी की तरंगों के आघात से इसे खतरा हो सकता है। इसलिए, यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष उपाय अपनाए गए हैं कि यमुना नदी के पानी ताजमहल के पास नहीं पहुंचे।
6. दुनिया के कोनो से आएँ है पत्थर
बहुत से लोग यह मानते हैं कि ताजमहल का निर्माण सफेद संगमरमर से हुआ है, लेकिन यह सच नहीं है। वास्तव में, ताजमहल को बनाने के लिए सत्ताईस अलग-अलग पत्थरों का प्रयोग किया गया है। ये पत्थर विभिन्न स्थानों से आए हैं, जैसे तिब्बत, चीन, श्रीलंका, और भारत के अलावा अन्य भागों से भी मंगवाए गए हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि ताजमहल वास्तव में एक आंतरराष्ट्रीय मेले की तरह है, जहां विभिन्न प्रांतों और देशों की धातुएं एकत्रित हो रही थीं।
7. बिना किसी मशीन के चलते है फव्वारे
ताजमहल के परिसर में लगे सभी फव्वारे बिना किसी मशीनरी के काम करते हैं। हाँ, आपने सही सुना! ये फव्वारे प्राचीन विज्ञान और इंजीनियरिंग का चमत्कार हैं। इस विश्व-धरोहर स्थल में लगे फव्वारों को एक साथ टैंक में भर जाने के बाद दबाव के साथ काम करना पड़ता है। इन फव्वारों को उच्च जटिलता और प्राकृतिक खानों के साथ एक तार द्वारा जोड़ा गया है जो स्वचालित रूप से पानी को ऊपर की ओर पंप करता है। इस प्रक्रिया का रहस्य तकनीकी रूप से चित्रित करना बेहद मुश्किल है, लेकिन इससे यह साबित होता है कि मुग़ल विज्ञानिकों ने अपने समय की उन्नति को कैसे पहचाना था।